1.
सब भूल जाते हैं...
केवल
याद रहते हैं
आत्मीयता से सिक्त
कुछ क्षण राग के,
संवेदना अनुभूत
रिश्तों की दहकती आग के!
आदमी के आदमी से
प्रीति के संबंध
जीती-भोगती सह-राह के
अनुबंध!
केवल याद आते हैं!
सदा।
जब-तब
बरस जाते
व्यथा-बोझिल
निशा के
जागते एकांत क्षण में,
डूबते निस्संग भारी
क्लांत मन में!
अश्रु बन
पावन!
2.
तुम -
बजाओ साज
दिल का,
जिंदगी का गीत
मैं -
गाऊँ!
उम्र यों
ढलती रहे,
उर में
धड़कती साँस यह
चलती रहे!
दोनों हृदय में
स्नेह की बाती लहर
बलती रहे!
जीवंत प्राणों में
परस्पर
भावना - संवेदना
पलती रहे!
तुम -
सुनाओ
इक कहानी प्यार की
मोहक,
सुन जिसे
मैं -
चैन से
कुछ क्षण
कि सो जाऊँ!
दर्द सारा भूल कर
मधु-स्वप्न में
बेफिक्र खो जाऊँ!
तुम -
बहाओ प्यार-जल की
छलछलाती धार,
चरणों पर तुम्हारे
स्वर्ग - वैभव
मैं -
झुका लाऊँ!